Date: 9 May 2024

Time : 6 pm- 8 pm

Location: कलाकेन्द्र, भागलपुर  

Name of Event/Activity : संगीतप्रेम की खोज      

Type of Activity : सांस्कृतिक कार्यक्रम

 प्रेम की खोज- 9 मई को कला केंद्र में संध्या 6:00 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रेम की खोज का आयोजन हुआ। इस अवसर पर देश की जानी-मानी गायिका वेदी सिन्हा और सुमंत बालकृष्णन की जोड़ी ने प्रेम के खोज की अविरल धारा बहा दी। शब्द जो प्राकृतिक ध्वनियों की अर्थपूर्ण अभिव्यंजना है,वह संगीत हो जाती है जब मानवीय संवेदनाओं को झंकृत करती हुई बढ़ती जाती है। वेदी के संगीत में लय है, ताल है,मात्रा है, कथ्य है –जो आपके कर्ण पटल को माध्यम बना कर हृदय के भाव जगत में प्रवेश करता है। मन मस्तिष्क को आलोड़ित,आनंदित,चमत्कृत करता है। “आवाहन प्रोजेक्ट” की निदेशिका सुश्री वेदी सिन्हा को सुनना सचमुच संगीत की उपरोक्त परिभाषा जीवंत होता महसूस करने जैसा है।

 वेदी सिन्हा जब गाती हैं तो उसमें आपके लिए ‘खास कथा ‘ निहित होती है और आप उसमें डूबते उतराते होते हैं।वेदी जब कुछ गद्यात्मक कथन प्रस्तुत करती हैं तो आप उसमें अंतर्निहित काव्यात्मक अनुभूति में खो से जाते हैं। वेदी भारतीय संस्कृति का ‘ प्रेम ‘  गाती हैं, सदियों की ‘अर्जित अनुभूति का विवेक ‘  प्रस्तुत करती हैं, अनंत के द्वंदों में आपको गुजारते हुए ‘ सतत प्रगतिशील चेतना ‘ की बूंदे उड़ेलती हैं और श्रोता दर्शक बरबस भींगते रहना चाहते हैं।

वेदी ने अपनी शुरुआत कुछ इस प्रकार किया —

 “पिछली बार जब आए तो निमकी और झुमकी के माध्यम से बच्चों, खासकर बालिकाओं के घर से निकल कर पढ़ने और आगे बढ़ने की कहानी लाए थे । तो इस बार कहानी ला रहे हैं अगले पड़ाव की उड़ान लगा देने के बाद के द्वंद की और  मनुष्य और इंसानों के उस प्रेम की जिसके कारण हम अपनी राह पर डंटे रह पाते हैं ।

यह कहानी निर्गुण प्रेम को आज की वास्तविक कठिनायों और उनसे पार पाने के तरीकों में ढूंढती है|

वेदी सिन्हा देशभर में अपनी प्रस्तुतियों के साथ यायावरी करती हैं। उनके श्रोता विशिष्ट भी हैं और आम जन भी हैं, छात्र नौजवान,बुजुर्ग और बच्चे भी हैं।और वे सभी के साथ अपनी प्रस्तुति से संवाद स्थापित करती हैं।  संतों सूफियों ने जो उद्दात मानवीय  मूल्यों को वाणी दी है,वह सब वेदी अपने गायन शैली से सहज संप्रेषित करती हैं।उनका संगीत शांति देता है। उस शांति में उल्लास भी है,आनंद भी और विचार भी है।

वेदी कहती गईं, बढ़ती गईं निमकी और झुमकी की कथा के साथ साथ। दर्शक श्रोता भी खोए से चलते रहे इस निर्गुण यात्रा में। वेदी के गीतों, कथानक में बंदर,बकरियां,पेड़,नदी, मछलियां और जाने कैसे कैसे पात्र — सभी थे और आत्मा गुन गुन गन गन संगीत में निरंतर प्रवाहमान सी।

टिमटिम और टुनटुन के बहाने प्रेम के विकसन और यात्रा को अलग अलग पड़ावों पर ले जाती रहीं वेदी । इस क्रम में कई गीत इसमें पिरोए| कथा प्रतिकातमक पर प्रेम और रहस्य को सहज बोध से संप्रेषित करती हुई बढ़ती जाती है। अद्भुत शमा बंध जाता है जब गिटार की झनकार देते सुमंत बालाकृष्णन वेदी के स्वर से मिश्रित करते अपनी हुंकार, चिक चिक की ध्वनि का प्रभाव मिला देते। कोई अतरिक्त वाद्य नहीं। नीरव वातावरण में वेदी के गूंजते स्वर और निर्गुण यात्रा। इस अवसर पर दर्शकदीर्घा में सम्पूर्ण शांति थी,जैसे वे टिम टिम, टुन टुन , निमकी, झुमकी के साथ लंबी यात्रा में डूब उतरते जा रहे हों।

 

Date : 8 May 2024

Time:  6pm- 8pm

Location:   कलाकेन्द्र, भागलपुर

Name of Event/Activity:  रविन्द्र जयंती

Type of Activity : सांस्कृतिक कार्यक्रम

8 मई 2024 को रविंद्र नाथ टैगोर के जन्मदिवस के अवसर पर कला केंद्र भागलपुर में रविंद्र जयंती का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम पीस सेंटर परिधि एवं बिहार बंगाली समाज भागलपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ। इस अवसर पर स्वागत करते हुए परिधि के निदेशक उदय ने कहा कि रवींद्रनाथ टैगोर ने बोलचाल की भाषा में बंगला का विकास किया और संस्कृत की शास्त्रीयता से बंगला भाषा को मुक्त किया। वे देशज संस्कृति के उदबोधक थे। वे भारतीय राष्ट्र को विविध उपराष्ट्रीयताओं का समुच्चय मानते थे। उनकी सास्कृतिक दृष्टि सभी समुदाय,क्षेत्र,भाषा के सम्मान पर आधारित था। उनका कला संसार इसी सांस्कृतिक दृष्टि पर आधारित था।उनका प्रसिद्ध नाटक ‘ मुक्तो धारा ‘ नदियों के अविरल प्रवाह को बांध बना कर रोकने के खिलाफ था।सृजन मेला में इस अवसर पर बिहारी बंगाली समिति की ओर से गुरुदेव को समर्पित नृत्य व संगीतमय प्रस्तुति हुई। निरुपम कांति पाल के निर्देशन में गुरुदेव की 163वीं जयंती समारोह के कार्यक्रम में कलाकेंद्र का सम्पूर्ण परिसर रविंद्र संगीत की सुर लहरियों से ओत प्रोत हो गया।महामानव कवि गुरु को अभिनंदन उनके कृत्य पर असीम श्रद्धा और कृतज्ञता ज्ञापित करता उनके व्यक्तित्व, कृतित्व और जीवन दर्शन को रविंद्र संगीत पर नृत्य जीवन दर्शन कृतिका मंजरी और निधि बनर्जी ने प्रस्तुत किया। संगीत के साथ टैगोर नमन भाषण निरुपम कांति पाल ने प्रस्तुत किया। उत्तल हवा गान की प्रस्तुति आर्या मिश्रा, अदिति गुप्ता और कोमल वर्मा ने किया। मोमो चिट्टे नीते निते की प्रस्तुति अनन्या दास ने कर रविंद्र रंगमंच को जीवंत कर दिया। गान-दारे अच्छो तुमि अमर  गानेर ओपारे की प्रस्तुति ऋषिता चट्टोपाध्याय के द्वारा किया गया। लीना दत्त  द्वारा आनंद लोके नृत्य की प्रस्तुति दी गई। गान अगुनेर परोश की प्रस्तुति मोनी स्नेहा बोनिक द्वारा किया गया। तंद्रा और पीयूष की रविंद्र रंगमंच की संध्या को प्रफुल्लित किया। गान,अमार पोरानो जहा छए की प्रस्तुति  सोरबानी गुहो के द्वारा हुआ वहीं मिक्स सॉन्ग और नृत्य की प्रस्तुति पयोजा रॉय द्वारा किया गया।डॉक्टर सोमेन चैटर्जी ने भी गुरुदेव की मशहूर अंग्रेजी कविता का पाठ किया।

 

Date: 6 May 2024

Time : 4 pm- 5 pm

Location: कलाकेन्द्र, भागलपुर  

Name of Event/Activity : विविध संस्कृति रूप सजा प्रतियोगिता      

Type of Activity : सांस्कृतिक प्रतियोगिता

6 मई 2024 को भारत की सांस्कृतिक विविधता पर केंद्रित विविध संस्कृति रूप सज्जा प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता में भारत के विभिन्न प्रांतो,राज्यों, संस्कृतियों मैं प्रचलित पहनावा और रूप सजा पर केंद्रित परिधान धारण कर प्रतिभागियों ने भारत की साझी संस्कृति को उजागर किया। कोई बंगाली, कोई मराठी कोई आदिवासी, कोई असमी तो कोई केरली संस्कृति को एक साथ मंच पर प्रस्तुति कर भारत की विविधता में एकता को दर्शाया। इस अवसर पर मौजूद दर्शकों ने तालिया से प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन किया। प्रतियोगिता के मुख्य निर्णायक अलका सिंह ने भारत की सांस्कृतिक विविधता पर अपनी बात रखते हुए कहा कि भारत हजारों संस्कृतियों का देश है। कोई संस्कृति बड़ा या छोटा नहीं हो सकता। सबकी अपनी खासियत है और दुर्बलताएं भी। अनेकता में एकता ही हमारी भारतीय संस्कृति है। यही इसकी खूबसूरती है और यही इसकी ताकत भी। इसलिए हम सबको एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। यही देशभक्ति भी है।

 

Date: 5 May 2024

Time: 10am- 1pm

Location : कलाकेन्द्र , भागलपुर

Name of Event/Activity : पेटिंग पोस्टर प्रतियोगिता

Type of Activity :  पोस्टर प्रतियोगिता

पीस सेंटर परिधि द्वारा 5 मई 2024 को सृजन मेला के अवसर पर पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। पोस्टर का विषय था-” साझी संस्कृति का सम्मान, तभी बने देश महान”। यह प्रतियोगिता दो ग्रुपों में हुआ। बाल ग्रुप एवं युवा ग्रुप। बच्चों और युवाओं ने देश की साझी संस्कृति के बहुतेरे रंगों को अपने चित्रों में उकेरा। किसी ने देश के विभिन्न धर्म को एक साथ मानते दिखाकर देश की को दर्शाया तो किसी ने विभिन्न वेशभूषा के चित्रण द्वारा विविधता में भी भारतीय एकता को चित्रित किया। एक पेंटिंग में तो विभिन्न परिधानों से ही देश कोबनाया गया था। जैसे परिधान देश की विविधता को दिखलाता है पर सबके मूल में भारतीयता ही है। जिस प्रकार सूर्य की रोशनी में हम पूरी दुनिया देखते हैं पर इसके अंदर सात अलग-अलग रंग छुपे हैं, ठीक उसी प्रकार अलग-अलग रंगों, वेशभूषा में एक भारतीयता छुपी हुई है। परिधि द्वारा प्रत्येक वर्ष अप्रैल माह में सृजन मेला का आयोजन किया जाता है परंतु इस वर्ष चुनाव के कारण इस मई माह के प्रथम द्वितीय सप्ताह हमें किया गया। इस मौके पर लगभग 1500 छात्र-छात्राओं एवं ढाई हजार लोगों ने हिस्सा लिया। सृजन मेला की शुरुआत 4 मई को समूह सांस्कृतिक प्रतियोगिता में नाटक और समूह नृत्य से हुई। सामाजिक एकता और सांप्रदायिक सद्भाव को महत्व दिया गया था। समूह नृत्य प्रतियोगिता में भारत के विभिन्न संस्कृतियों की झांकी देखने को मिली। 5 मई को बच्चों के लिए चित्र और पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। 10 मई को प्रतियोगिता में शामिल बच्चों को मोमेंटो और पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।

Media Coverage

Make a donation to support us

Donate

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

*
*