ढ़ाई आखर पीस सेंटर – भोपाल, सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसायटी ऐंड सेक्युलरिज्म, मुंबई के साथ, एक भागीदार संगठन है, जो समाज में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति के लिए काम कर रहा है। विभिन्न धर्मों के लोगों को शांति गतिविधियों में शामिल करने के लिए, ढ़ाई आखर पीस सेंटर सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा बैठकों का आयोजन करता है|

मध्यप्रदेश के जनसंगठनों द्वारा समता, न्याय और संवैधानिक अधिकारों के मुद्दों पर जनसुनवाई आयोजन का रिपोर्ट

19 जुलाई 2022 जल, जंगल, जमीन की लूट, जातिगत हिंसा और भेदभाव, सांप्रदायिकता हिंसा सहित खेती -किसानी, श्रमिक अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के सवालों पर प्रदेश स्तरीय जनसुनवाई का आयोजन किया गया जिसमें प्रदेश के लगभग 24 जनसंगठनों ने हिस्सा लिया।
जब जनता की चुनी हुई सरकार जनता से अपना मुंह फेर ले तो ऐसे समय में जरूरी हो जाता है कि जनता अपनी जनसुनवाई खुद करे। इसी दृष्टिकोण के आधार पर जनसंगठनों ने मिलकर आज 19 जुलाई 2022 को भोपाल के गांधी भवन में एक प्रदेश स्तरीय जनसुनवाई का आयोजन चार सत्रों “जल, जंगल, जमीन और विस्थापन”, “सांप्रदायिकता/हिंसा/मानवाधिकार हनन”, “खेती किसानी/मजदूर अधिकार” और स्वास्थ्य / शिक्षा/रोजगार के तहत किया। जनसुनवाई में ज्यूरी (‘न्यायदाता पैनल’) के रूप मे परंजय गुहा ठाकुरता (पत्रकार एवं लेखक) इरफान इंजीनियर (मानवाधिकार विशेषज्ञ), पर्यावरणविद सुभाष सी पांडे उपस्थित थे। इस ‘न्यायदाता पैनल’ के समक्ष मध्यप्रदेश के बड़वानी, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, विदिशा, हरदा, रीवा, सिहोर, देवास, इंदौर, रायसेन, भोपाल, जबलपुर, छिंदवाड़ा, सागर, छतरपुर, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, राजगढ़, नीमच, बेतुल, गुना, खरगोन सहित अन्य जिलों से आये पीड़ित लोगो ने अपनी हकीकत नयायदाता पैनल के समक्ष रखी। पीड़ितों / प्रभावितों ने लिखित शिकायत भी प्रस्तुत की। इस कार्यक्रम में 174 लोग शामिल हुये थे|
जन सुनवाई की शुरुआत परिचय सत्र के साथ हुयी इसके बाद सुश्री आराधना भार्गव द्वारा कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई। प्रथम सत्र “जल, जंगल, जमीन और विस्थापन”, का संचालन मेधा पाटकर द्वारा किया गया जिसमे नर्मदा बचाओ आंदोलन के विजय भाई, बरगी बांध एवं विस्थापित संघ के शारदा यादव, बाला पटेल छिंदवाड़ा, जिंदगी बचाओ अभियान के रामप्रसाद काजले हरदा, चेतन कुंम्हारे,संदीप यादव, पुष्परज, डॉ संतोष, पूजा ने विस्थापन, जल, जंगल, जमीन अधिकारो के हनन की मामले पैनल के समक्ष प्रस्तुत किए।
द्वितीय सत्र “सांप्रदायिकता/हिंसा/मानवाधिकार हनन” का संचालन विजय कुमार द्वारा किया गया। इस सत्र मे खरगोन से आए अब्दुल मालिक, मोहम्मद जफर इंदौर, राकेश मिश्रा, वासिद खान भोपाल, मोहन इंगले हरदा, जावेद भाई हरदा, शाहिद मंसूरी उज्जैन ने सांप्रदायिक उन्माद और मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों को पैनल के स्समने प्रस्तुत किया।
तीसरे सत्र स्वास्थ्य / शिक्षा/रोजगार का संचालन अमूल्य निधि द्वारा किया गया। इस सत्र मे सिलिकोसिस पीड़ित संघ के दिनेश रायसिंह, कलु भाई और माधवी ने सिलिकोसिस पीड़ितों की बात रखी। सत्र मे आदिवासी दलित मोर्चा के विनोद पटेरिया ने आदिवासी स्वास्थ्य के मुद्दे पर बात रखी। छात्र संगठन के सुमेर सिंह ने बेरोजगारी के बारे में अपनी बात पैनल के समक्ष रखी। शिक्षा की स्थिति के बारे मे राजकुमार भाई, बुंदेलखंड जीविका संगठन के डॉ वर्मा और सम्राट अशोक शक्ति संगठन की रंजना कुशवाहा और भारती परोचे ने भी बात रखी।
चौथे सत्र “खेती किसानी/मजदूर अधिकार” का संचालन डॉ सुनीलम ने किया। इस सत्र मे श्रमिक जनता संघ के संजय चौहान, शहरी मजदूर संगठन, भोपाल की सरस्वती के साथ ही देवीसिंह भाई धार, दिलीप शर्मा छतरपुर, इंद्रजीत सिंह रीवा, संदीप ठाकुर सागर, इरफान जाफरी, शारदा यादव, एडवोकेट आराधना भार्गव ने अपनी बात रखी।
सत्रों मे भागीदारों की प्रस्तुती के बाद संचालकों ने संक्षिप्त में पूरे सत्र का निचोड़ प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की अंतिम कड़ी के रूप मे सभी सत्रों के पैनल सदस्यों ने अपनी बात रखते हुये सभी मामलों को सरकार के समक्ष मजबूती के साथ रखने की बात कही। कार्यक्रम मे विधायक अशोक मर्सकोले जी शामिल हुये और उन्होने लोगों की मांगो का समर्थन किया। कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन इरफान जाफरी जी ने किया ।
ढाई आखर पीस सेंटर, जन सुनवाई का आयोजन करणे वाले 24 संघटनोंमेसे एक संघठण है जो कि सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड सेक्युलरिज्म, मुंबई का भागीदार है| पीस सेंटरसांस्कृतिक कार्यक्रमों, डायवर्सिटी वॉक और बैठकों की व्यवस्था आदी ऐसे अलग अलग कार्यक्रमों के माध्यम से सांप्रदायिक सद्भाव और शांति के लिए काम करता है।
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ढ़ाई आखर पीस सेंटर, भोपाल द्वारा संचालित नया बसेरा में सावित्री बाई फुले, फातिमा शेख पुस्तकालय एवं सांस्कृतिक केंद्र द्वारा मुस्लिम व दलित युवतियों ने मिलकर भारत की प्रथम महिला शिक्षिका, समाज सुधारिका एवं मराठी कवित्री सावित्री बाई फुले के परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके विचारों पर चर्चा की।

सावित्री बाई फुले के विचारों और उनके द्वारा किए उल्लेखनीय कार्यों को याद करते हुए सभी ने संकल्प लिया की, वे अपने बच्चों को पढ़ाएंगी, परंपराएं तोड़ेंगी और स्त्री मुक्ति के लिए संघर्ष करेंगी। सभी ने समाज के पीड़ित, वंचित वर्गों की एकता पर जोर दिया।