Date: 5 December 2024
Time: 4pm- 6pm
Location : कलाकेन्द्र , भागलपुर
Name of Event/Activity : नव वर्ष सांस्कृतिक मेला हेतु बैठक
Type of Activity : बैठक
5 दिसंबर 2024 को कला केंद्र भागलपुर में सांस्कृतिक समन्वय समिति की बैठक संयोजक उदय की अध्यक्षता में हुई। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि अब नववर्ष सांस्कृतिक मेला -2025 कलाकेंद्र में ही लगेगा। इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए उदय ने कहा कि 1 जनवरी को नव वर्ष सांस्कृतिक मेला का उद्देश्य जन सरोकारी सांस्कृतिक आयोजन करना था। सामाजिक परिवर्तन हेतु कला संस्कृति अपनी भूमिका निभाये इसके लिए हम लोगों ने नव वर्ष मेला की शुरुआत की थी। 1989 दंगे के बाद समाज में जो मूकता और विभेदकारी माहौल बन गया था उसे ठीक करने की कोशिश भी थी। कुछ लोग कविता के नाम पर महिलाओं का फूहड़ मजाक उड़ाते थे उनका भी विरोध किया गया। वरिष्ठ पत्रकार उज्जवल कुमार घोष ने कहा कि नव वर्ष आयोजन के नाम पर कई कार्यक्रम में फूहड़ नृत्य, अश्लीलता, नशाखोरी की जाती है। यह समाज के लिए घातक है। नव वर्ष का आयोजन ऐसा होना चाहिए जिससे युवाओं और बच्चों में नए वर्ष को लेकर नई जोश, उमंग और समाज परिवर्तन की चेतना विकसित हो। गौतम कुमार ने कहा कि आज नव वर्ष साझी संस्कृति का हिस्सा हो गया है जिसे हर धर्म, के लोग मनाने लगे हैं। यह किसी खास धर्म या संप्रदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करता है। जयप्रकाश कुमार ने कहा कि पिछले 30 वर्षों से सांस्कृतिक समन्वय समिति नव वर्ष सांस्कृतिक मेला का आयोजन कर रहा है पर नगर निगम प्रशासक द्वारा सैनडिस कंपाउंड में नहीं करने देने के बाद पिछले तीन वर्षों से इस आयोजन को कला केंद्र में ही किया जा रहा है। भागलपुर की संस्कृति कर्मियों ने इस सांस्कृतिक आयोजन को जारी रखने का निर्णय लिया है। ललन ने अपनी बात में कहा कि कला संस्कृति आम लोगों की आवाज बने, जनता की बात करे यही सच्चा सांस्कृतिक कार्यक्रम है। कला केंद्र के प्राचार्य राजीव कुमार सिंह ने कहा कि उद्देश्य पूर्ण कला संस्कृति को आगे बढ़ाता है। नव वर्ष सांस्कृतिक मेला ने शहर को इस आयोजन को लेकर नई सोच दी है। इसी का परिणाम है कि फुहड़ता से हटकर लोग मेला में शामिल होने लगे। नव वर्ष सांस्कृतिक मेला 2025 में माध्यम और हल्का ए अदब द्वारा कविता व मुशायरा, परिधिऔर जनप्रिय द्वारा नाटक एवं गीत की प्रस्तुति, कला केंद्र द्वारा चित्र प्रतियोगिता आदि करने का निर्णय हुआ इसके साथ-साथ अगली बैठक में और भी सांस्कृतिक सामाजिक संस्थाओं को जोड़कर कार्यक्रम की अंतिम सूची तैयार की जाएगी। मुक्ति निकेतन घोघा, अलाय, रंग-तरंग, जनप्रिय, एकता नाट्य मंच, शरण्या नृत्य कला केंद्र, हल्का ए अदब आदि ने भी कार्यक्रम की सहमति दी है।
Date : 10 December 2024
Time: 1pm -6pm
Location: कासिमपुर, भागलपुर
Name of Event/Activity: “हमारा संविधान और मानवाधिकार ”
Type of Activity : गोष्ठी
10 दिसंबर 2024 को पीस सेंटर परिधि द्वारा गोराडीह के कासिमपुर पंचायत में मानवाधिकार दिवस के अवसर पर “हमारा संविधान और मानवाधिकार” विषयक गोष्ठी का आयोजन किया गया। सामाजिक कार्यकर्ता जयनारायण की अध्यक्षता में हुए इस गोष्ठी में राहुल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मानवाधिकार हर मानव को जन्म के साथ ही नैसर्गिक तौर पर मिल जाता है। 1948 के पहले से ही पूरी दुनिया में मानवाधिकार को लेकर अलग-अलग संगठनों द्वारा मुहीम चलाया जाता रहा। हर मानव को गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार है और इसके लिए वहां की सरकार जिम्मेदार होती है। हमारे देश के संविधान निर्माताओं ने मानव के इस नैसर्गिक अधिकार को महत्व देते हुए संविधान में अनेकों प्रावधान किए हैं। गरिमापूर्ण जीवन जीने, न्याय पाने, अपने रीति-रिवाज, धर्म मानने और पालन करने का अधिकार भी मानवाधिकार ही है। भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में मानवाधिकार के ही भाव निहित हैं। यह बड़ी विडंबना है कि जिसपर मानवाधिकार रक्षा का दायित्व है उसी राज्य सत्ता द्वारा ही सबसे अधिक मानवाधिकार का हनन किया जाता है। आदिवासियों से जमीन-जंगल छीनने, गंगा में सेंचुरी बनाकर मछुआरों से मछली मारने का अधिकार छीनने जैसे कई काम विकास के नाम पर राज्य द्वारा अंजाम दिया जाता है। भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में मानवाधिकारों को समाहित किया गया है। भारतीय संविधान में मानवाधिकारों के कई प्रावधानों को शामिल किया गया है।मौलिक अधिकारों में संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 तक भारत के प्रत्येक नागरिक को समानता के अधिकार की गारंटी देते हैं।अनुच्छेद 19 द्वारा भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से संबंधित है और अनुच्छेद 21 जीवन एवं स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान करता है।
जयनारायण ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज के समय में मानवाधिकार के लिए कई प्रकार की चुनौतियां खड़ी हो रही है। अंध राष्ट्रवाद और धार्मिक उन्माद के कारण समाज में मानवाधिकार की समझ कमजोर हो रहा है। मानवाधिकार का मूल तत्व है सभी मानवों के लिए बराबरी, न्याय, सम्मान, पहचान आदि का अधिकार समानता के आधार पर हो। पर आज राष्ट्रवाद और धर्म के नाम पर देश में मानव अधिकार को कुछ लाचा रहा है। कभी भी मानवाधिकार का हनन एक तरफ नहीं हो सकता। मानव अधिकार के हनन की परंपरा बनते ही यह किसी के साथ ही होने लगता है। इसलिए सजग नागरिक होने के नाते हमें किसी भी व्यक्ति के मानवाधिकार हनन बोलने और उठ खड़े होने की जरूरत है। अगर हम जाति, नस्ल व धर्म के आधार पर भेदभाव करेंगे तो यह समाज, देश और मानवता के लिए खतरनाक सिद्ध होगा।
Date: 20 December 2024
Time: 2pm -5pm
Location: कलाकेन्द्र, भागलपुर
Name of Event/Activity: क्रिसमस मिलन
Type of Activity : सांस्कृतिक कार्यक्रम व विचार गोष्ठी
20 दिसंबर 2024 को पीस सेंटर परिधि द्वारा कला केंद्र भागलपुर में क्रिसमस मिलन का आयोजन किया गया। संचालन करते हुए राहुल ने कहा कि त्योहार हमें एक साथ लाता है, जोड़ता है और मानवता सिखलाता है। इसीलिए हम सब सामूहिक तौर पर होली, दिवाली, ईद और क्रिसमस ऐसे त्यौहार का आयोजन करते हैं। जीवन में अगर मिलने की खुशी ना हो तो जीवन नीरस हो जाएगा इसलिए त्योहार सामूहिक ता का संदेश लेकर आता है। संस्कृति कर्मी उदय ने कहा कि हम अलग-अलग धर्म को मानने वाले लोग हैं पर सभी धर्म में एक समान मान्यता है कि हम सब ईश्वर की संतान है अर्थात हम सब भाई-बहन हैं । आज जो धर्म की नई परिभाषा गढी जा रही है जिसमें दूसरे धर्म वालों को छोटा समझना, हीन समझना। धर्म द्वारा दुखों से मुक्ति के बजाय उसको एक मिलिट्री फोर्स की तरह बनाया जा रहा है यह बहुत खतरनाक है। इस अवसर पर यीशु का संदेश देते हुए पास्टर प्रशांत राणा ने कहा कि क्रिसमस को हम बड़ा दिन के नाम से भी जानते हैं। जबकि दिन के हिसाब से यह छोटा दिन होता है परंतु हम इसे बड़ा दिन कहते हैं क्यों? परमेश्वर ने मनुष्य को अच्छे रास्ते पर लाने के लिए अपने पुत्र यीशु मसीह को धरती पर भेजा इसलिए इस दिन को हम बड़ा दिन कहते हैं। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया ताकि परमेश्वर और मनुष्य के बीच का निकटतम संबंध कायम रहे। हम जब तक परमेश्वर का सानिध्य प्राप्त नहीं करते तब तक शांति, प्रेम और सौहार्द कायम नहीं रह सकता। इप्टा के संजीव कुमार दीपू ने कहा कि प्रेम और सौहार्द के बीच हम
इस अवसर पर पूर्व कुलपति डॉ फारूक अली ने क्रिसमस की बधाई देते हुए कहा कि क्रिसमस का असली संदेश यह है कि हम दूसरों की गुनाह को माफ करें। आपके प्रति दूसरे की गलती माफ करना ही खुशहाल समाज बनाने का बीज तैयार करता है। देवशीष बनर्जी ने कहा कि बहुत खुशी की बात है कि हम सब विभिन्न धर्मो के प्रमुख त्योहारों का सामूहिक आयोजन करते हैं। प्रभु यीशु ने अपना बलिदान देकर मनुष्य को प्रेम और करुणा का पाठ सिखलाया है। समाज प्रेम, करुणा भाईचारा के आधार पर बेहतर बनेगा। सभी को बधाई देते हुए शारदा श्रीवास्तव ने कहा कि सभी त्यौहार का एक अंतर सूत्र है मिलजुल कर बैठकर खाना- पीना गपियाना। वारिष्ठ समाजकर्मी प्रकाश चंद्रगुप्ता ने कहा कि ईसा मसीह का संदेश कि पूरी दुनिया में अमन चैन कायम हो, जबरदस्ती नहीं बल्कि आत्म बलिदान द्वारा। डा हबीब मुर्शिद खान ने कहा कि धर्म मनुष्य को ईश्वर तक पहुंचाने का रास्ता है जबकि संविधान देश चलाने का रास्ता। मनुष्य से मनुष्य को जोड़ना सिखलाये तभी वह धर्म है वरना वह राजनीति है। रेखा रमण ने हिन्द देश के निवासी गीत द्वारा एकता के सन्देश दिए।