सांस्कृतिक कार्यक्रम 

दिनांक 23 अप्रैल को परिधि  और कला केंद्र के संयुक्त तत्वाधान  में “परिधि सृजन मेला 2023” की शुरुआत बाल चित्र प्रतियोगिता से हुई। बाल चित्र प्रतियोगिता में लगभग 300 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जबकि शास्त्रीय नृत्य, भरत नाट्यम, सुगम संगीत, शास्त्रीय संगीत और अंगिका गीत में 150 प्रतियोगी शामिल हुए। सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक बच्चों और लगभग 500 अभिभावकों का परिधि सृजन मेला में ताँता लगा रहा। चूंकि यह कार्यक्रम 30 वर्षों से लगातार हो रहा है इसलिए बच्चे और अभिभावक परिधि सृजन मेला का इंतजार करते हैं। ललन ने कहा कि बच्चों की रचनात्मक सृजनशीलता को आगे बढ़ाना और नवोदित कलाकारों को मंच प्रदान करना भी सृजन मेला का घोषित उद्देश्य है। सृजन मेला लोक और शास्त्रीय का समन्वय होता है। सृजन मेला अपसंस्कृति के विरुद्ध एक आवाज है। इस वर्ष सृजन मेला में पानी और सद्भाव को केंद्रीय बिषय बनाया गया है। बच्चे से लेकर बूढ़े तक के लिये सृजन मेला में आयोजन होते हैं। चित्रांकन के निर्णायक शहर के वरिष्ठ चित्रकार संतोष कुमार ठाकुर और चंद्रमोहन ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि कला सिर्फ आत्म अभिब्यक्ति का साधन ही नहीं  बल्कि समाज को संदेश और दिशा देने का भी माध्यम है।

शास्त्रीय नृत्य की प्रतियोगिता में बच्चों ने भरतनाट्यम और कत्थक पर अपने कलात्मक भाव भंगिमा द्वारा दर्शकों को ताली बजाने पर मजबूर कर दिया। शास्त्रीय नृत्य के निर्णायक के तौर पर निभास चंद्र मोदी और मिथलेश ने भूमिका निभाई। वही सृजन मेला में रविंद्र मंच पर शास्त्रीय संगीत,अंगिका गीत और सुगम संगीत की धूम रही। प्रतिभागियों ने अंग प्रदेश के गीतों से दर्शकों को झुमा दिया। संगीत के निर्णायक मंडली में शैलेश कुमार, रेखा कुमारी और संजय कुमार ने भूमिका निभाई।

 24 अप्रैल 2023 को परिधि एवं कला केंद्र द्वारा आयोजित परिधि सृजन मेला के दूसरे दिन कविता पाठ का आयोजन किया गया।  इस अवसर पर निर्णायक की भूमिका निभा रहीं कवित्री पिंकी मिश्रा ने कहा कि बच्चों की सृजन शीलता उसका मौलिक गुण है। परिस्थिति और वातावरण उसे दिशा देता है कि वह कैसा इंसान बनेगा। कविता एक ऐसी रचना शीलता है जिसमें व्यक्ति कौशल क्षमता का इस्तेमाल करते हुए  पर्यावरण और व्यवस्था काचित्रण करता है। परिधि एवं कला केंद्र द्वारा आयोजित जन मेला में बच्चों के इस विशेष रचना सिलता को बढ़ावा दिया जाता रहा है। बहुत सारे बच्चे और यहां तक कि बहुत सारे लोगों ने यहीं से रचना की शुरुआत की है। इकराम हुसैन साद ने बच्चों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि कविता समाज का दर्पण तो है ही यह मनुष्य को अंदर तक होता है स्पर्श करता है। कविता पाठ को 4 समूहों में बांटा गया था। डी ग्रुप के बच्चों को स्वरचित कविता का पाठ करना था। इसमें तान्या ने जात पात और धर्म के नाम पर मानवता को शर्मसार किए जाने को अपनी कविता का विषय बनाया। कविता के माध्यम से उसने सलमा और सीता को एक ही बताया। जनार्दन कुमार और कृषिका गुप्ता ने देश की एकता के लिए सभी धर्मों और जातियों को एक हो जाने की बात की। कविता पाठ में बच्चों ने अपनी अभिव्यक्ति देते हुए दर्शकों की तालियाँ बटोरी।

तीसरे दिन 25 अप्रैल 2023 को समूह नृत्य – गीत, एकल अभिनय – माइम और नाटक की प्रतियोगिता हुई| सृजन मेला में डा श्रीकांत मंडल ने कहा कि सांस्कृतिक परिवर्तन शनै-शनै आता है जबकि अप संस्कृति हो हल्ला और धूम धड़ाका पर सवार होकर आती है। अप संस्कृति में आत्म प्रदर्शन और विज्ञापन होता है जबकि संस्कृति जीवन दर्शन और दिनचर्या में अंतर निहित होता है आत्मसात होता है। संस्कृति कर्मी उदय ने कहा कि समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा वाले आदिवासी दूसरों को दिखाने के लिए अलग से कोई सांस्कृतिक आयोजन नहीं करते बल्कि संस्कृति और कला उनके दैनंदिन जीवन में होता है। नृत्य, संगीत गीत और नाटक को किसी बीजा पासपोर्ट कि जरूरत नहीं पड़ती और न ही किसी धार्मिक अनुमति की। कला संस्कृति का वाद्य यंत्र यूनिवर्सल हो जाता है। डिवाइन गुरुकुलम स्कूल बांका के बच्चों ने समूह गीत में “नारी छै देवी स्वरूपा हो” समूह गीत द्वारा महिला शक्ति को दर्शाया। वहीं दिलजीत लाल ग्रुप द्वारा दमकच की प्रस्तुति की गई। सावित्रीबाई फुले ग्रुप द्वारा जाति भेद और नारी भेद पर आधारित गीत ” इंसान को अछूत और गुलाम किया है, यह कैसा करम है यह कैसा धर्म है” गाया। “हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए” गीत गाकर बच्चों ने सभी का मन मोह लिया। नाटक, समूह गीत, समूह नृत्य में भागलपुर के अलावे जमुई सुल्तानगंज, बांका, घोघा, ममलखा आदि से लगभग 400 बच्चों एवं 500 अभिभावकों ने हिस्सा लिया।

26 अप्रैल 2023 को मेला के चौथे दिन पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित हुई। पोस्टर का विषय था “सांप्रदायिक सौहार्द देश की ताकत”। इस विषय पर प्रतिभागियों ने अपनी कल्पना शक्ति का खूब उपयोग करते हुए पोस्टर का निर्माण किया। जिस पर देश की एकता को और मजबूत करने के कई स्लोगन लिखे गए।

27 अप्रैल 2023 को परिधि एवं कला केंद्र द्वारा आयोजित परिधि सृजन मेला के पांचवें दिन मंजूषा चित्रकला और मिट्टी खिलौना निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। मंजूषा चित्रकला में जूनियर ग्रुप को मूल मंजूषा चित्र बनाने को दिया गया था वहीं सीनियर ग्रुप का विषय प्रयोगात्मक मंजूषा चित्र था। मंजूषा चित्र में बच्चों ने बिहुला विषहरी शिव चांदो सौदागर जैसे धार्मिक पात्र तो बनाए ही साथ ही साथ सफाई सुरक्षा पर्यावरण, विभिन्न प्रकार के जीव जंतुओं को भी मंजूषा चित्र में साकार किया। प्रायोगिक मंजूषा में सीनियर ग्रुप में जहां नए रंगों का इस्तेमाल किया वहीं कुछ प्रतिभागियों ने मंजूषा चित्र को नए अलंकारिक और दैनिक जीवन के कार्यों को नए ढंग से प्रस्तुत किया। वही मिट्टी खिलौना निर्माण में दो ग्रुप बनाए गए थे। बच्चों ने मिट्टी से अपने मन में उमड़ घुमड़ रहे कलात्मक विचारों को मिट्टी से रूप प्रदान किया।

सृजन मेला 2023 के तीन दिवसीय मुख्य समारोह का आगाज 28 अप्रैल को हुआ। प्रतिदिन संध्या 6-9 बजे शिल्प कला प्रदर्शनी लगी रही| 23 अप्रैल से 27 अप्रैल तक मेले में प्रतिभागियों ने जो पेंटिंग,शिल्प, मिट्टी के खिलौने, पोस्टर,मंजूषा चित्र आदि रचे उन सबकी प्रदर्शनी प्रतिभगियों और उनके माँ पिता अविभावक दोस्तों रिश्तेदारों में चर्चा का विषय बना हुआ था ।  प्रदर्शनी में वरिष्ठ चित्रकारों के जलचित्र,तैल चित्र,पेंसिल स्केच में अद्भुत शमा बंधा हुआ था। प्रदर्शनी का एक खण्ड अंगप्रदेश की लोक कला मंजूषा चित्र और मिथिलांचल की लोक कला मधुबनी पेंटिंग को समर्पित थी। एक खण्ड पुस्तकों का भी था जिसे दिनकर पुस्तकालय ने लगाया था जिसमें साहित्य,संस्कृति,आध्यत्म,इतिहास, राजनीति आदि विविध विषयों के महत्वपूर्ण प्रकाशन संस्थानों के पुस्तक अपेक्षकृत कम मूल्य पर उपलब्ध थे ।  मंचीय प्रस्तुति अभिनय और नाटक चल रहा था।साथ ही संगीत और काव्य प्रस्तुति का भी माहौल रहा। बाल कवियों ने मर्मभेदी प्रस्तुतियाँ दीं। साथ ही साम्प्रदायिक सौहार्द की कविता भी कही गईं। नाटक “कहाँ गये गाँधी?” की शानदार प्रस्तुति से दर्शकों से भरपूर वाहवाही लूटी। विनय कुमार भारती के एक से बढ़कर गीतों की प्रस्तुति ने माहौल को संगीतमय बनाये रखा। प्रदर्शनी और मेले का उद्घाटन मुख्य अतिथि बिहार विधान  पार्षद डॉ. एन. के . यादव और तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के डी. एस. डब्लू.  डॉ. योगेन्द्र ने संयुक्त रूप से किया। विशिष्ट अतिथि पूर्व जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी श्री शिवशंकर सिंह पारिजात ने मेले के विजेता प्रतिभागियों को पुरस्कार बाँटे|

पुरस्कार वितरण समारोह में अतिथियों का स्वागत करते हुए परिधि के निदेशक उदय ने कहा कि हमारा लक्ष्य वैकल्पिक संस्कृति का निर्माण है जो बाजार के प्रभाव से मुक्त हो। संस्कृति समाज और मनुष्य के जीवन का अंतःसूत्र है, यह व्यक्ति नहीं समुदाय की कलात्मक अभिव्यक्ति है। कला केंद्र के प्राचार्य श्री राजीव सिंह ने कहा कि किसी देश, समुदाय और समाज की श्रेष्ठता उसकी कला और संस्कृति से ही नापी जाती है | संस्कृति के नाम पर राजनीति हो रही है | संस्कृति जोड़ती है तोड़ती नहीं है।

30 अप्रैल 2023 को परिधि और कला केंद्र द्वारा आयोजित परिधि सृजन मेला का समापन समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर मुख्य अतिथि तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष डॉक्टर योगेंद्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि देश और समाज की चेतना सुंदर हो इसके लिए हम संस्कृतिकर्मी पिछले 30-35 वर्षों से ऐसा प्रयास कर रहे हैं।

विशिष्ट अतिथि डॉक्टर वर्षा रानी ने कहा कि यहां आकर बहुत सुकून मिल रहा है एक तरफ पेंटिंग दूसरी तरफ संगीत और नृत्य के कार्यक्रम हो रहे हैं यह बहुत ही सुखद है। कला केंद्र भागलपुर ही नहीं पूर्वी क्षेत्र के लिए धरोहर है इसे और खूबसूरत बनाने और सजाने सवारने की जरूरत है। डॉ हबीब मुर्शिद खान ने कहा कि मैं बहुत फर्क महसूस करता हूं कि मैं ऐसे संस्थान से जुड़ा हूं। कला केंद्र और इस समूह ने इस भागलपुर के बच्चों को कला के प्रति प्रोत्साहित कर बड़ा कलाकार बनाया है। इस मौके पर सबीहा फैज, एनुल होदा, उदय, ललन, तक़ी अहमद जावेद, मिंटू कलाकार, डॉ हबीब मुर्शिद खान ने बच्चों को पुरस्कार प्रदान किया। इसके पूर्व कवि सम्मेलन में इकराम हुसैन साद, डॉ प्रेम चंद्र पांडे, जावेद अख्तर, क़ाफ़िया कामनी, सीनू कल्याणी, कपिल देव कृपाला, मृदुला सिंह, जयंत जलद आदि ने अपनी कविता द्वारा समाज के विभिन्न कुरीतियों पर प्रहार किया और एक स्वस्थ, खूबसूरत एकता भरे माहौल की बात की।

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