(सांस्कृतिक कार्यक्रम)
Date: 13-15 August 2022, Time: 5 pm to 8 pm, Venue: Kalakendra, Bhagalpur
दिनांक 13 अगस्त 2022 को कला केंद्र भागलपुर एवं पीस सेंटर परिधि के संयुक्त तत्वावधान में जश्न ए आजादी की शुरुआत की गई। कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय, भागलपुर के छात्र कल्याण संकाय अध्यक्ष डॉ रामप्रवेश सिंह ने फीता काट कर किया। इस अवसर पर प्रो राम प्रवेश सिंह ने कहा कि देश की स्वतंत्रता देश, समाज और व्यक्ति को दोनो ही स्तर पर निखरने और आगे बढ़ने का मौका देता है। उदय ने कहा कि आजादी एक मानवीय भाव है जो सिर्फ राजकीय नहीं है यह समाज के अंतिम व्यक्ति को मुख्य धारा से जुड़ने का मौका देता है। भारतीय संविधान में निहित मूल अधिकार जनता के लिए स्वतंत्रता की कुंजी के रूप में है। गांधीजी ने जिस अंतिम जन तक स्वतंत्रता की पहुंच बनाने की आशा की थी उसे पूरा करने के लिए हमें एकजुट होकर कार्य करने की आवश्यकता है। देश की आजादी सिर्फ प्रतिकात्मक नहीं हो सकती। राहुल ने बताया कि मंजूषा शैली में अंग क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानियों को दिखाया गया है, प्रथम स्वतंत्रता सेनानी तिलकामांझी से लेकर 1942 के आंदोलनों को बखूबी प्रस्तुत किया गया है। इस अवसर पर एकल भाव नृत्य और समूह शास्त्रीय नृत्य भी प्रस्तुत किए गए। मौके पर एनुल होदा, अर्जुन शर्मा, मनोज कुमार, नीना एस प्रसाद, कोमल भारती, सुषमा, कोमल, इकराम हुसैन साद, जयंत जलद, कपिलदेव कृपाला, आशीष कुमार, वियक कुमार भारती, नीलम कुमारी, तेजबसंत कुमार, प्रदीप कुमार, पुष्पा भारती, तूलिका बोस, सीमा सिंह, ज्योति वर्मा, सार्थक भरत सहित सौ से अधिक लोग मौजूद थे |
14 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित जश्न ए आजादी कार्यक्रम के दूसरे दिन देशभक्ति गीतों का गायन और स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित रूप सज्जा (फैंसी ड्रेस) प्रतियोगिता आयोजित किए गए। इस अवसर पर वक्ताओं ने आजादी के मूल्यों को संरक्षित करने की अपील किया। सामाजिक कार्यकर्ता अनीता शर्मा ने आजादी को औरतों की सबसे बड़ी पूंजी बताया, उन्होंने बताया कि स्वतंत्रता के 75 सालों के बाद भी समाज में महिलाओं को पूर्ण नागरिक नहीं मिल पाया है। देश की आजादी तबतक पूर्ण नहीं हो सकता जबतक हर घर की महिलाऐं अपनी स्वतंत्र ना महसूस करने लग जाए। शारदा श्रीवास्तव ने कहा कि कलाकार का विचार हमेशा स्वतंत्र होना चाहिए तथा कला तभी उन्नत कहलाएगी जब वो शोषितों के पक्ष में खड़ा होकर उनके हक और आजादी के लिए आवाज बन जाए। ललन ने 75 सालों के आजादी की बधाई देते हुए कहा कि हमें खुद के अंदर आजादी के मूल्यों को तलाशने की आवश्यकता है। सार्थक भरत ने देश के आजादी को यहां के नागरिकों की आजादी बताया और लिंगभेद जातिभेद तथा संप्रदायिकता जैसे दोष को आजादी का दुश्मन कहा। इकराम हुसैन साद ने अपने गजल के माध्यम से स्वतन्त्रता का अर्थ समझाया। विनय कुमार भारती और शैलेश कुमार ने देशभक्ति गीतों का गायन करते हुए कहा कि देशभक्ति गीतों को गाने से एक स्वच्छ मन को देशप्रेम केलिए प्रेरित कर देता है। देशभक्ति गायन प्रतियोगिता में तूलिका बोस यशस्वी कश्यप, अयांश कुमार, तेज बसंत, गुलशन सिंह, प्रणीत आदि के गायन ने श्रोताओं का मन मुग्ध कर दिया। वहीं रूप सज्जा प्रतियोगिता में चारवी, इशानवी, अलंकृत, देवांश घोष, क्याना घोष आदि के रूपों ने दर्शकों पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाला। दूसरे दिन भी चित्र प्रदर्शनी को लोगों ने देखकर खूब सराहा। गांधी शांति प्रतिष्ठान के पूर्णकालिक सदस्य बाकिर हुसैन ने मंजूषा शैली की चित्र आंदोलन में भागलपुर की योगदान को बखूबी बयां कर रहा है। इस अवसर पर सुषमा, डाली, मेहरुन्निशा, देवकी, मंतोष, साहेब, रमन, उदय, जयप्रकाश सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।
“जश्न ए आजादी” कार्यक्रम का समापन पुरस्कार वितरण और नृत्य, गीत की प्रस्तुति के साथ हुआ। आजादी आंदोलन को प्रखर बनाने में रविंद्र नाथ टैगोर की बहुत बड़ी भूमिका थी। उन्होंने राष्ट्रवाद की नई अवधारणा देश के सामने रखी। उनके लिखे गीत ” देश का माटी देश का फल” का अनुवाद भवानी प्रसाद मिश्र ने किया है की प्रस्तुति विनय कुमार भारती ने किया। भारत को विश्व गुरु की पहचान दिलाने वाले बुद्ध जो भारतीय सांस्कृतिक आंदोलन के अगुआ है की विराट मूर्ति, विवेकानंद जिन्होंने भारत की सांस्कृतिक पहचान दुनिया में बनाई और नंदलाल बोस जिन्होंने संविधान के पन्नों पर अपने हाथों से चित्रांकन किया है की मूर्तियों पर दर्शकों आगंतुकों ने पुष्पांजलि अर्पित कर आजादी आंदोलन को याद किया मुख्य अतिथि डॉक्टर एनके यादव एमएलसी कोसी स्नातक क्षेत्र ने नृत्य चित्र, गीत, आदि के 63 प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने अपनी बातें रखते हुए कहा कि जश्न ए आजादी कार्यक्रम पर रवींद्रनाथ टैगोर विवेकानंद, गौतम बुद्ध और नंदलाल बोस को याद करना, आदर करना स्वतंत्रता आंदोलन के सांस्कृतिक पक्ष को उजागर करना है। त्याग और बलिदान से हमें आजादी मिली है। हम जिस लोकतंत्र के बदौलत आज बोल लेते हैं सरकारें बदल लेते हैं यह आजादी आंदोलन की देन है। निश्चित तौर पर महात्मा गांधी आजादी आंदोलन के अगुआ थे। देश को इकट्ठा करने और स्वदेशी की भावना जागृत करने में उनका अहम योगदान था। पुरस्कार वितरण समारोह में आगत अतिथियों का स्वागत राहुल ने किया। संस्कृति कर्मी उदय ने बच्चों को शुभकामनाएं देते हुए अपनी आजादी को अक्षुण्ण रखने की नसीहत दी। श्री ललल ने इस अवसर पर कहा कि बच्चे असली राष्ट्र निर्माता होते हैं। बच्चों में वसुधैव कुटुंबकम की भावना विकसित करना भारतीय संस्कृति को विकसित करना है। इस अवसर पर कवि गोष्ठी का भी एक खंड आयोजित हुआ जिसमें इकराम हुसैन साद, जावेद अख्तर, पारस कुंज, जयंत जलद आदि ने कविताएं पढ़ी | मौके पर सौ से अधिक लोग मौजूद थे।