समुदाय सभा, परचा वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम
पीस सेंटर परिधि द्वारा “फूले से अंबेडकर विचार यात्रा” की शुरुआत ममलखा से हुई | इस अवसर पर ग्रामीण, शिक्षक और बच्चों ने हिस्सा लिया | तीसरे दिन हसनगंज, मिरजान हाट में सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अनीता देवी ने कहा कि भारत में आज जो महिलाओं की बेहतर स्थिति हुई है उसमें बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर का बड़ा योगदान है। उन्होंने बिना जाति धर्म का भेद किए सभी मानव के लिए समता, न्याय और सम्मान की जिंदगी जीने का कानूनी अधिकार दिया। सिर्फ दलितों ही नहीं बल्कि पिछड़ों, महिलाओं के कल्याण व तरक्की के लिए हमेशा प्रयत्न किया। संचालन करते हुए विनय कुमार भारती ने कहा कि महात्मा फुले और बाबासाहेब अंबेडकर मानसिक गुलामी को सबसे बड़ा गुलामी मानते थे। भारत में मानसिक गुलाम बनाने में धर्म का बहुत बड़ा योगदान रहा है। हजारों वर्षों से धर्म के नाम पर छुआ छूत, बड़ा छोटा कर लोगों को आपस में ही बाँट दिया। यह विभेद देश की तरक्की में सबसे बड़ा बाधक है। विषय प्रवेश कराते हुए पीस सेंटर परिधि के राहुल ने कहा कि हम 11 अप्रैल महात्मा फुले के जन्मदिन से लेकर 14 अप्रैल बाबा साहब के जन्मदिन तक उनके विचारों की यात्रा कर रहे हैं। गांव, स्कूल, समाज और युवाओं में जाकर इन दोनों महान विभूतियों के समता, न्याय विचारों को फैला रहे हैं। 11 अप्रैल पर ममलखा में हुए कार्यक्रम में मुखिया अभिषेक अर्णव ने महात्मा फुले के सत्य शोधक समाज के कार्यों को विस्तार पूर्वक रखा। 12 अप्रैल को कासिमपुर और मुरहन में कार्यक्रम हुए। महात्मा फुले ने कहा था “भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक नहीं होगा, जब तक खान-पान एवं वैवाहिक सम्बन्धों पर जातीय बंधन बने रहेंगे. सभी प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है और सभी मनुष्यों में नारी श्रेष्ठ है| स्त्री और पुरुष जन्म से ही स्वतंत्र है | “धर्म वह है जो समाज के हित में, समाज के कल्याण के लिए है।”अगर सबाके बनाने वाला एक है और उसने ही सभी चीजों को सबके लिए बनाया हैं तो फिर धर्म अनेक कैसे हो सकते हैं।” “जब तक समाज में प्रचलित वर्ण-धर्म और जातिप्रथा का उन्मूलन नहीं किया जाता और समाज का संगठन समानता के आधार पर नहीं किया जाता, जब तक सामाजिक एकता नहीं हो सकती और एकता के अभाव में समाज या देश का संपूर्ण विकास नहीं हो सकता। इसी प्रकार डॉ भीमराव अंबेडकर ने सभी मनुष्यों को बराबर समझते हुए उनके सम्मान न्याय और अधिकार के लिए जीवन भर प्रयत्न किए। हमें इनका कृतज्ञ होना चाहिए। 14 अप्रैल 2023 को अंबेडकर जयंती के दिन पीस सेंटर परिधि द्वारा चल रहे चार दिवसीय फूले से अंबेडकर विचार यात्रा का समापन हो गया। इस अवसर पर भीखनपुर, बड़ी जमीन और भिट्ठा में फुले अंबेडकर विचार यात्रा के कार्यक्रम हुए। कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने स्वतंत्र भारत की नीव स्वतंत्रता, न्याय और सम्मान की आधारशिला पर रखी। डॉ अंबेडकर ने धर्म के नाम पर जाति उत्पीड़न की जिस पीड़ा को झेला वह किसी दूसरे के साथ होने नहीं देना चाहते थे। उन्होंने हमेशा सामाजिक और मानसिक गुलामी को राजनीतिक गुलामी से बड़ा माना। बाबा साहब कहते थे- राष्ट्रवाद तभी औचित्य ग्रहण कर सकता है, जब लोगों के बीच जाति, नस्ल या रंग का अन्तर भुलाकर उसमें सामाजिक भ्रातृत्व को सर्वोच्च स्थान दिया जाये।”
राजनीतिक अत्याचार सामाजिक अत्याचार की तुलना में कुछ भी नहीं हैं। और जो सुधारक समाज की अवज्ञा करता है वह सरकार की अवज्ञा करने वाले राजनीतिज्ञ से ज्यादा साहसी है।” बाबा साहब ने भारत के सामाजिक स्थिति को देखकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था- ‘आज भारतीय दो अलग-अलग विचारधाराओं द्वारा शासित हो रहे हैं। उनके राजनीतिक आदर्श जो संविधान की प्रस्तावना में इंगित हैं, वो स्वतंत्रता, समानता और भाई-चारे को स्थापित करते हैं, किन्तु उनके धर्म में समाहित सामाजिक आदर्श इससे इनकार करते हैं।‘ पीस सेंटर परिधि के संयोजक राहुल ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर बात रखते हुए कहा कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी ज्यादातर लोग हाशिए पर खड़े हैं। समता, न्याय और सम्मान की लड़ाई जारी है। उन्नत और खुशहाल देश तभी बनेगा जब हम अपने समाज से जाति, लिंग और नस्ल आधारित भेद- भाव को मिटाने की कोशिश करें। इस अवसर पर समता के लिए गीत गये गए और फुले आंबेडकर के विचारों के पर्चे बनते गए ।